मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण एवं बजट 2023-24 पर आयोजित परिचर्चा में मुख्यमंत्री जी के उद्बोधन के बिन्दु:

भोपाल मध्यप्रदेश
अक्सर बजट बड़ा रूखा-सूखा विषय होता है। जनता समझती है कि हमारा इससे क्या लेना-देना, यह तो विशेषज्ञों का काम है।

हमारा प्रयास है कि बजट बनाने में भी पब्लिक पार्टीसिपेशन होना चाहिए।

4,000 से ज्यादा सुझाव जनता के बीच से आए और हमने ज्यादातर सुझावों को क्रियान्वित किया है।

कृषि, ग्रामीण विकास, उद्योग, व्यापार, सामाजिक-आर्थिक विकास, कौशल विकास, सुशासन, विज्ञान प्रोद्योगिकी जैसे अनेक विषय हैं, जिनमें मध्यप्रदेश ने अच्छा प्रदर्शन किया है।

आर्थिक सर्वे के आँकड़े बताते हैं कि अगर सार्थक प्रयास किये जाएँ, तो चुनौतियों को कामयाबी में बदला जा सकता है।

हमारी आर्थिक विकास दर 18% के पार थी, इसके ऊपर इस बार हमने 16.4% की दर अर्जित की है। 2001-02 में तो यह केवल 3-4% थी।

2002-03 में सकल घरेलू उत्पाद 71 करोड़ के आसपास था। 2022-23 में हमारा सकल घरेलू उत्पाद 13,22,821 करोड़ रुपये है।

पर कैपिटा इनकम 2002-03 में 11 हजार रुपये थी, 2022-23 में यह 1,40,583 रुपये हो गई है। मैं अभी संतुष्ट नहीं हूँ, हमें और आगे जाना है।



कई बार आरोप लगाया जाता है कि कर्ज ले लिया लेकिन ऋण लेने के कुछ मापदंड होते हैं, कुछ आधार होते हैं।

2005 में ऋण जीएसडीपी का अनुपात था 39.5%, लेकिन 2020-21 में यह घटकर 22.6% हो गया।

एक इन्डिकेटर होता है कि कैपिटल एक्सपेन्डिचर क्या है। कोविड के कठिन समय में भी हमारा पूंजीगत व्यय 45,685 करोड़ था।

जीएसटी में इस साल 22% की वृद्धि दर्ज की गई, हम देश के टॉप 5 प्रदेश में हैं।

किसानों को ऋण में 30.1% और MSME को ऋण में 30.2% की वृद्धि हुई है।

2001-02 तक कृषि विकास दर केवल 3% थी, अब बढ़कर 19% हो गई है।

2013-14 में गेहूं उत्पादन 174.8 लाख मीट्रिक टन था, 2022-23 में यह बढ़कर 352.7 लाख मीट्रिक टन हो गया। गेहूं के एक्सपोर्ट में हमने 46% की वृद्धि हासिल की।

धान का उत्पादन 53.2 लाख मीट्रिक टन था, जो बढ़कर 131.8 लाख मीट्रिक टन हो गया।

जब हमने सरकार संभाली, तब सिंचाई क्षमता साढ़े 7 लाख हेक्टेयर थी, हमने इसे बढ़ाकर किया 45 लाख हेक्टेयर।

औद्योगिक विकास दर -0.6% थी, जो 2022-23 में बढ़कर 24% हो गई।

इस साल का जो बजट है, वो हमारे कुशल वित्तीय प्रबंधन की तरफ इशारा करता है।

अब हम तीन लाख करोड़ के क्लब में शामिल हो गए हैं, इस साल हमारा बजट 3,14,025 करोड़ का है।

हमारा राजकोषीय घाटा 55,709 करोड़ रुपये अनुमानित है, जो हमारे जीएसडीपी के 4% की सीमा में है, जो भारत सरकार अलाऊ करती है।

ऋण जीएसडीपी अनुपात 2002-03 में 31.6% था, वो घटकर इस साल अनुमान है 27.8% रहने का।

आत्मनिर्भर भारत के लिए हमने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का निर्णय लिया।

कैपिटल एक्सपेन्डिचर बढ़ाकर हमने 56,256 करोड़ रुपये रखा है।

हमने निर्णय लिया कि इस बार हम सेक्टरवाइस प्रावधान करेंगे। एक तरफ सड़क, बिजली पानी के लिए पर्याप्त प्रावधान और दूसरी तरफ वेल्फेयर स्कीम।

इस साल हमने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना बनाई। 1,02,976 करोड़ रुपये हम माँ-बहन-बेटी पर खर्च कर रहे हैं। यह फ्री में बांटने की योजना नहीं है।

हमने एक प्रयोग किया था बैगा, भारिया और सहरिया जनजाति को आहार अनुदान राशि देने का और इसका असेसमेंट किया। आपको जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि पोषण का स्तर बढ़ गया, इसलिए हमने इसे लागू किया।

युवाओं के लिए 1,24,000 शासकीय नौकरी में भर्ती चालू है, उद्यम क्रांति योजना के तहत ऋण देते हैं और हर माह रोजगार दिवस के माध्यम से ढाई लाख लोगों को स्वरोजगार के लिए ऋण देते हैं।

एक योजना है मुख्यमंत्री कौशल अप्रेंटिसशिप योजना, सीखो और कमाओ।

ये बच्चे सीखेंगे भी और इन बच्चों को हर साल 1 लाख रुपये भी मिलेंगे।

मुख्यमंत्री ई-बालिका स्कूटी योजना है, जो हेयर सेकेंडरी में फर्स्ट आएंगी, उनको स्कूटी देंगे।

किसान कल्याण योजना के लिए 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रावधान रखा है और जो डिफ़ॉल्टर हो गए थे, उनके लिए भी 2,500 करोड़ का प्रावधान किया है।

पीएम आवास योजना के लिए 8,000 करोड़ रुपये का प्रावधान, संबल के लिए पर्याप्त प्रावधान किया है। अनुसूचित जनजाति के लिए 36,950 करोड़ और अनुसूचित जाति के लिए 26,087 करोड़ का प्रावधान है।

खेल के लिए 738 करोड़ रुपये, हेल्थ, शहरी विकास के लिए 14,882 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। अब हम रोपवे और केबल कार पर फोकस कर रहे हैं।

इंफ्रा में विंध्य, नर्मदा और अटल एक्सप्रेस वे बनाएंगे, इसके दोनों ओर क्लस्टर डेवलप करेंगे।

सीएम राइज स्कूल में हम एक स्कूल पर 38-38 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जिसने डिपार्टमेंट ऑफ हैप्पीनेस बनाया। शरीर, मन और बुद्धि के साथ आत्मा का सुख जरूरी है, इसके लिए हमने महाकाल महलोक बनाया, आचार्य शंकर का स्टेच्यू ऑफ वननेस बन रहा है, सलकनपुर में देवीलोक बन रहा है।

मेरा विचार है कि हम बजट पर भी सभाएँ करें और गाँव के लोगों को भी बजट समझाएँ।

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