
*देश का पहला मंदिर है सीताजी का करीला में*
*बनबास के दौरान रुकी थी संत वाल्मिकी के आश्रम में सीता जी*
*हर साल रंग पंचमी पर करीला धाम में जुटते हैं लाखों श्रद्धालु, हर वर्ष रंग पंचमी पर हजारों नृत्यांगनाऐं करती हैं नृत्य*
*देशभर से सीता मां के दर्शन को आते हैं लोग, मन्नत पूरी होने पर बधाई में भक्त कराते है राई नृत्य*
*पूरा करीला धाम क्षेत्र छावनी में तब्दील, ड्रोन सहित सीसीटीवी कैमरे से होती है निगरानी*
*सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से चप्पे-चप्पे पर पुलिस के आला अधिकारी सहित हजारो पुलिस सहित अन्य कर्मचारी रहते हैं मौजूद*
*मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त कराते हैं राई, बुंदेलखंड का सुप्रसिद्ध लोक नृत्य है राई*
अमित रैकवार खबर Live मध्यप्रदेश*
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* मध्यप्रदेश के अशोकनगर और विदिशा जिले की सीमाओं से लगए हुए करीला धाम पर होली की रंग पंचमी पर विशाल मेला भरता है। यहां मां सीता (जानकी) माता का एक मात्र मन्दिर है जहां भक्त मनोकामना पूर्ण होने के बाद राई का नृत्य कराते हैं…!!
प्रदेश के दो जिलों की सीमा को जोड़ने वाले करीला धाम मंदिर में मां जानकी के दर्शनों को हर वर्ष होली पर्व के बाद पड़ने वाली रंग पंचमी पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होती हैं। यहां लोकनृत्य *राई* कराकर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की याचना करते हैं तो वही मनोकामना पूरी होने पर बुंदेलखंड का प्रसिद्ध लोक नृत्य राई मां सीता के सन्मुख करा कर मां सीता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
त्रेता हुग के दौरान रामायण काल में जब मां सीता को वनवास दिया गया तब वह ब्रह्मऋषि बाल्मीकि के आश्रम पहुंचकर उन्होंने तप किया था और वह आश्रम यही करीला में मां जानकी के धाम के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
लोगों का ऐसा मानना है कि जो भी भक्त यहां आकर सच्चे मन से मां सीता से जो भी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा लेकर आता है तो मां जानकी उसकी मनोकामना पूरी करती हैं और मनोकामना पूरी होने पर लाखों की संख्या में यहां श्रद्धालु आकर लोकनृत्य राई करवाते है।