जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़
दिलेश्वर चौहान ,,संवाददाता
मानसिक रोगी के उपचार के लिए राज्य सरकार ने
मनो उपचार केंद्र बिलासपुर में स्थापित की है पेशेंट की इलाज कॉलेज स्टूडेंट टो के द्वारा भी प्रैक्टिकल करते हैं।
क्यों उसकी वजह को जानकर सोचने पर मजबूर हो जाएंगे डॉक्टर स्टूडेंट नर्स इलाज प्रैक्टिस करते हैं, नरसिंह कॉलेज स्टूडेंट मानसिक रोगियों का ट्रीटमेंट करने सीखने अच्छे स्वास्थ्य के लिए कामना करती हैं कुमारी कुसुमलता सीदार बिलासपुर कॉलेज स्टूडेंट सीनियर बिलासपुर,
मनो उपचार केंद्र बिलासपुर सेदरीं, में पत्रकारों को बताया कि लोग डिप्रेशन में है ,क्यों है।
इसको हम जानने की कोशिश करते हैं और उनका इलाज करने एवं सीखने पेशेंट को अच्छे स्वास्थ्य के लिए कार्य करते हैं ।और हमारी टीम इन कारणों से उस वजह को जानकर उस कारण को जानकर इलाज में भागीदारी निभाते हैं ।
हम सारे कॉलेज के स्टूडेंट ने पाया की, लोगों की एवं आज के
युवा के डिप्रेशन की वजह नशा भी है ।
टेंशन एवं इन बैलेंस होना कई तरह की प्रॉब्लम हो जाता है। पेशेंट्स अपनी दुनिया में खोए रहते हैं ।
हम उन्हें जानते हैं लेकिन वह हमें नहीं जान पाते।
उनके अपने, आकर देख कर चले जाते हैं ।
, मनौपचार केंद्र में अधीक्षक डॉक्टर नंदा ने बताया कि हॉस्पिटल में दवाई की कमी है, हम मरीजों को कम तादाद में दवाई देने के बावजूद स्टाक नहीं होने के कारण काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इस संबंध में सरकार को भी अवगत कराया जा चुका ,किलबा 10 एमजी, नींद की दवाइयां सोलडियम, सि यार 500 एमजी जैसे दवाइयां जो झटके मन बुद्धि ,डिप्रेशन लोगों, के लिए भी जरूरी होता है , पर्याप्त मात्रा में अगर दवाई हो तो पेशेंट को इलाज करने में आसानी होता है।
डिप्रेशन, यानी शौक लग जाना मानसिक संतुलन एंड बैलेंस हो जाना।
फिर शरीर चलती फिरती लाश की तरह होता है ।
जो बॉडी मूवमेंट करता है, मगर खुद उसे होश नहीं रहता कि वह क्या कर रहा है।
आज की यंग जेनरेशन शराब गांजा, नशा की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो रहा है। पत्रकारों के सवालों के जवाब में बताया कि गांजा शराब की वजह से
डिप्रेशन पागलपन इन सब का कारण है
काफी हद तक इस देश के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि एवं सरकार है जो शराब बंद करने के बजाय बढ़ावा दे रहे हैं और दर्शक भी खास तौर से आज के युवा मानसिक तनाव में हैं सेवन कर रहे हैं।
मनोपचार केंद्र बिलासपुर ,
में पेशेंट 15 16 साल से 30 साल के बीच के लोग ज्यादा बीमार है।
कुछ मौन रहते हैं ,कुछ अपने ख्यालों में या दिमाग जिस अवस्था में रूपा हो उस पर केंद्रित होकर रह जाता है ।
कुछ लोग उत्पात भी मचाते हैं जिसे जंजीर से जकड़ कर रखा जाता है,
कुछ सुनाई नहीं देता और ना ही किसी प्रकार उसको समझ आता है।
ऐसे लोग बहुत ही गंभीर बीमारी में फंसे हैं।
जिसे निकालने के लिए अच्छे से अच्छे इलाज के लिए सरकार की तरफ कुछ अच्छा रिस्पांस मिलनी चाहिए।