ऐतिहासिक स्थल पर अधिकारियों के ठहरने सक्रिट हाउस की दरकार ।कलेक्टर की घोषणा पर भी नहीं हो सका अमल

नसीमखान


सांची,,,, वैसे इस स्थल को एक विश्व विख्यात पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है इस स्थल पर पहले दो सक्रिट हाउस एवं रेष्ट हाउस हुआ करते थे । जो लो नि वि के अधीन हुआ करते थे ।परन्तु इनमे ठहरने वालों को उपलब्ध सुविधाएं अन्य विभागों को रास नहीं आई तब विश्राम भवन ( रेष्ट हाउस)इसमे दूसरे नंबर के अधिकारियों के ठहरने की व्यवस्था हुआ करती थी एवं सर्किट हाउस जिसमें पहले नंबर के अधिकारी एवं विशिष्ट अतिविशिष्ट लोगों की मेहमाननवाजी की जाती थी वैसे तो विश्राम भवन का इतिहास काफी पुराना रहा है इस विश्राम भवन में ही अंग्रेजी हुकूमत के दौरान अंग्रेजी अधिकारीयो ने ठहर कर ध्वस्त स्मारकों की खोज की थी इसके बाद नवाबी हुकूमत के दौरान नवाब के ठहरने का ठिकाना भी बताया जाता है इसके साथ ही सर्किट हाउस जिसमे पहले दर्जे के अधिकारियों का ठिकाना हुआ करता था इस हाउस मे देश की आजादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के ठहरने का गौरव प्राप्त होना बताया जाता हैं इसके साथ ही सांची आने वाले देश विदेश के राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशो सहित अनेक अतिविशिष्ट व्यक्तियो ने ठहरने का गौरव शाली इतिहास रहा था इन दोनों ही हाउस का संचालन मप्र सरकार के लोनिवि द्वारा किया जाता था परन्तु इन हाउसों पर एवं इनकी सुंदरता पर अन्य विभाग सबसे पहले पुरातत्व विभाग ने विश्राम भवन को प्राचीनतम मानते हुए सरकार से अपने कब्जे में ले लिया तथा इसका मूलरूप प्रदान करते हुए इसे मार्शल हाउस का नाम दे दिया गया ।बताया जाता हैं इसमे अंग्रेजी हुकूमत के दौरान पुरातत्व विभाग के अधिकारी जान मार्शल ने अपना आशियाना बनाते हुए ऐतिहासिक स्मारकों की खोज की थी इसी कारण इसको पुरातत्व विभाग ने मार्शल हाउस का नाम देते हुए अपने अधीन कर लिया था इसके बाद कुछ वर्ष तक सर्किट हाउस लोनिवि के अधीन रहा ।परन्तु जब इस स्थल का कायाकल्प पलटने एवं सुंदरता का जामा पहनाने के नाम पर सरकार ने पर्यटन विकास विभाग को करोड़ों रुपए आवंटित कर दिये तब पर्यटन विभाग ने इस सर्किट हाउस को अपने अधीन लेने की कवायद शुरू कर दी एवं इससे लगे क्षेत्र की शासकीय कृषि उद्यान की आधी सी भूमि भी अपने अधीन कर ली ।एवं विकास के नाम पर करोड़ों रुपये की लागत से सर्किट हाउस आकृति की दो इमारत निर्मित कर डाली । बताया जाता है कि यह नवनिर्वित करोड़ों की लागत से बनी इमारत को भी अब विभाग निजी कंपनी को सौपने की तैयारी में जुट गया है अब इस स्थिति में लोनिवि को अपना तामझाम समेट कर उपयंत्री आवास में कवाड के रूप में एकत्रित कर रखना पडा तबसे ही इस नगर में पर्यटन विभाग अपने स्तर पर सुंदरता के नाम पर करोडों रुपये की बलि चढाता रहा ।एवं अपने विभाग की आय के साधन जुटाने में सफल हो गया हालांकि पर्यटन विभाग द्वारा इस स्थल को विकास एवं सुंदरता के नाम पर करोड़ों की बलि चढ गई परन्तु जमीनी हकीकत आज भी अपनी वही पुरानी बदहाली बयां कर रही है ।जबकि इन दोनों हाउस पर लगभग 25 स्थानीय लोग अपना एवं अपने परिवार का पालन करते थे उन्हें बेरोजगार होने पर मजबूर होना पडा ।विकास के नाम पर पर्यटन विभाग द्वारा रेलवे स्टेशन से स्तूप गेट तक करोड़ों की लागत से फुटपाथ निर्माण कराये गए परन्तु तब यह फुटपाथ निर्माण भी काफी सुर्खियां बटोरने में पीछे नहीं दिखाई दिया हद तो तब हो गई जब दो वर्ष के अंतराल में इन फुटपाथ के तीन बार निर्माण होना बताया गया है तथा इसमे सरकार की करोड़ों रुपये की राशि स्वाहा कर दी गई इसके साथ ही इन फुटपाथ को प्रकाशमान बनाने के लिए लाइट व्यवस्था हेतु पोल खडे हुए परन्तु यह बिजली से प्रकाश तो नहीं हो सका बल्कि पोल भी टूट फूट कर नष्ट हो गए इसके साथ ही इसमे डली केवल भी तहसनहस हो गई तब इस नगर के विकास का जामा मात्र कागजी बनकर रह गया ।एवं यह स्थल विश्राम भवन विहीन होकर रह गया ।हालांकि अनेक बार स्थानीय लोग विश्राम भवन की मांग उठा चुके है ।वर्ष 21 मे 26 जनवरी को जब नवीन थाना भवन का मंत्री रहे क्षेत्रीय विधायक ने लोकार्पण किया था तब तत्कालीन कलेक्टर ने तत्कालीन मंत्री के सामने ही अपने उदबोधन मे नगर वासियों को केफैटेरिया भवन जो पर्यटन विभाग के अधीन आती हैं उसे विश्राम भवन के रूप में नगर वासियों को सौगात देने की घोषणा की थी तब मंत्री रहे डा प्रभूराम चौधरी ने भी कलेक्टर की घोषणा का स्वागत किया था परंतु लगभग चार साल गुजरने के बाद भी कलेक्टर की घोषणा मात्र घोषणा ही बनकर रह गई एवं लोगों का नगर में विश्राम भवन का सपना भर बनकर रह गया ।जबकि इस ऐतिहासिक स्थल पर पहले एवं दोयम दर्जे के अधिकारियों को पर्यटन विभाग अथवा निजी होटल में ठहरने मजबूत होना पडता हैं इसके साथ ही इस स्थल पर आने वाले अतिथियों को ठहरने के नाम पर सरकार की अनापशनाप राशि का भार झेलना पड़ता है कभी कभी तो सम्बंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों का व्यय की स्थानीय अधिकारियों को वहन करना पड़ता है जिसका खामियाजा आम जनता भोगने पर मजबूर हो जाती हैं तब लोगों ने एक बार फिर इस नगर में सर्किट हाउस की मांग को लेकर आवाज उठाना शुरू कर दी है जिससे सरकार की अनापशनाप खर्च होने वाली राशि पर विराम लग सके तथा अधिकारियों को ठहरने विश्राम भवन अस्तित्व में आ सकें।

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