
नसीमखान
सांची ,,नगर मे लगातार घटते जलस्तर के कारण क्षेत्र की जलापूर्ति प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हो रही है। पहले जहां कुओं के माध्यम से जलापूर्ति होती थी, वहीं अब कुएं धीरे-धीरे लुप्त हो चुके है इसके बाद, सरकार ने हैण्डपम्पों की व्यवस्था की थी, जो कुछ हद तक जलापूर्ति में सहायक थे, लेकिन अब वे भी खत्म होने की कगार पर हैं। इसके परिणामस्वरूप, अब क्षेत्र की जलापूर्ति केवल नलो पर ही निर्भर रह गई है।
इस नगर मे जलस्तर में निरंतर गिरावट के कारण सांची के निवासियों के लिए पेयजल संकट एक गंभीर समस्या बन रहा है। यही कारण है जब प्रशासन को प्रतिदिन के स्थान पर अब दो दिन में एक बार ही जलप्रदाय करना पड रहा है प्रशासन के जलप्रदाय के प्रयासों के बावजूद भी जल की बर्बादी की स्थिति भी बनी हुई है। सडकों पर बहते जल को देखकर यह स्पष्ट होता है कि पानी की सही उपयोगिता और संरक्षण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
यह स्थिति जलसंसाधनों के संकट को उजागर करती है, और यह समय की मांग है कि प्रशासन और स्थानीय निवासियों दोनों को मिलकर पानी बचाने के उपायों को गंभीरता से अपनाना होगा। पेयजल संकट के इस दौर में सांची में जल का सही प्रबंधन न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक का भी कर्तव्य बनता है।हालांकि प्रशासन द्वारा अनेक बार नगर वासियों को जल बचाने एवं जल की कीमत समझने एनाउंसमेंट किया गया परन्तु गंभीर जलसंकट से बेफिक्र नगर वासी जल की बचत करने से बेफिक्र होकर सडको पर जल बहाते आसानी से दिखाई दे जाते है हालांकि प्रशासन भी जल बचाने लगाम कसने असफल हो रहा है ।