(मध्य प्रदेश) मुरैना के लेपा गांव का है पान सिंह तोमर से कनेक्शन, जमीन के विवाद में करनी पड़ी थी हत्याएं व बने थे डकैत
पान सिंह तोमर का गांव भिडोसा है और उनके गांव के पास का गांव लेपा है। जहां पर शुक्रवार कोजमीन विवाद में छह लोगों कीहत्याहुई।
ग्वालियर। लेपा गांव, जहां पर शुक्रवार सुबह जमीन के विवाद को लेकर छह लोगों की हत्या कर दी गई। लेपा गांव के पास का ही गांव भिड़ोसा है। जहां के डकैत पान सिंह थे। पान सिंह न केवल सेना के जवान थे, बल्कि एशियन गेम्स की स्टेपलचेस के गोल्ड मैडल विजेता थे। यानी जमीन को लेकर हत्याओं व डकैत बनने का मुरैना यानी चंबल का पुराना इतिहास रहा है। डकैत पान सिंह की जमीन पर गांव के ही दबंगों ने कब्जा कर लिया था, लेकिन उनकी गुहार न पुलिस ने सुनी थी और न ही राजस्व विभाग ने। ऐसे में उन्हें बंदूक लेकर बीहड़ में उतरना पड़ा था। यही कहानी जिले के कई ऐसे कई पीड़ितों की है जिन्हें मजबूरी में डकैत बनना पड़ा।
10 बिस्वा जमीन को लेकर हुआ खूनी संघर्ष, एक ही परिवार के 6 लोगों की चली गई जान
कौन थे पान सिंह तोमर
जमीन विवाद में खूनी संघर्ष, मुरैना के लेपा गांव में चली गोलियां, 6 की मौत
एक भारतीय सैनिक, एथलीट, और बागी (विद्रोही) थे। उन्होंने भारतीय सेना में सेवा की। पान सिंह 1950 और 1960 के दशक में सात बार के राष्ट्रीय स्टीपलचेज में चैम्पियन थे और 1952 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। सेना से समय से पहले सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने पैतृक गांव लौट आए। जहां उनके परिवार के सदस्यों ने उनकी जमीन भ्रष्ट कर्मचारियों के सहयोग से अपने नाम करवा ली और बंदूकों से पान सिंह तोमर के परिवार पर हमला कर दिया । हमले में उनकी मां को मार दिया गया। बाद में पान सिंह तोमर अपना बदला लेने के लिए चम्बल घाटी के डकैत बन गए। 1981 में पुलिस मुठभेड़ में मार दिए गए पान सिंह तोमर का जन्म पोरसा के पास छोटे से गांव भिडोसा में, एक हिंदू राजपूत परिवार में हुआ था। तोमर के पिता ईश्वरी सिंह तोमर थे, जिनके छोटे भाई दयाराम सिंह तोमर ने तोमर परिवार का नेतृत्व किया, जिसके पास भिडोसा क्षेत्र और उसके आसपास की अधिकांश उपजाऊ कृषि भूमि थी।
जमीन के बंटवारे व जमीन के विवाद से ही रही है डकैतों की समस्या चंबल में
लेपा गांव के पास के गांव भिड़ोसा के सेना से रिटायर व प्रसिद्ध एथलीट पान सिंह तोमर को भी जमीन को लेकर डकैत बनना पड़ा और जमीन पर कब्जा करने वालों की हत्या करनी पड़ी। पान सिंह तोमर की बात तो फिल्म के जरिए सामने आ गई। वहीं, चंबल में ऐसे कई डकैत (बागी) होते रहे हैं जिनके डकैत बनने के पीछे भी जमीन ही मुद्दा थी। चाहे रूपा हो या लाखन हों, या फिर अन्य डकैत। इसके पीछे वजह यह है कि चंबल में दंबगों ने कमजोरों की जमीन पर कब्जा किया और राजस्व विभाग ने भी न्याय नहीं किया। साथ ही पुलिस ने भी कमजोरों का साथ नहीं दिया। ऐसे में पीड़ित को बंदूक उठाकर चंबल के बीहड़ों की शरण लेना पड़ी और उन्होंने अपने तरीके से ही न्याय को प्राप्त किया।
ये बड़े खूनी संघर्ष हुए हैं जिले में
– 29 जून 1978 में मुरैना के देवगढ़ थाना क्षेत्र के नंदपुरा गांव में जमीन के विवाद को लेकर एक ग्रामीण ने 5 लोगों के सीने में गोली उतार दी थी और फिर चंबल के बीहड़ में डकैत बन गया। हालांकि बाद में एक पुलिस एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई।
-30 जून 1995 को नंदपुरा गांव में एक परिवार के लोगों ने दूसरे परिवार के 7 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि आरोपित पक्ष की जमीन व घरों पर गांव के दबंगों ने कब्जा कर लिया था। जब उसकी पुलिस व प्रशासन ने सुनवाई नहीं की तो उसने 30 जून की रात को दबंग परिवार के 7 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।