
मंत्री सारंग ने कहा, नाम बदलने की प्रक्रिया को किससे धर्म से या वर्ग विशेष से जोड़ कर ना देखें।
जो गुलामी के प्रतीक हैं और जो गुलामी की याद दिलाते हैं उनके नाम परिवर्तित होना ही चाहिए।
भोपाल के बखेड़ा पठानी का नाम लाल बहादुर शास्त्री जी के नाम पर रखा गया है।
शास्त्री जी ने देश की एकता अखंडता और आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी।
शास्त्री जी ने देश की आजादी के बाद प्रधानमंत्री के रूप में सुचिता की राजनीति को आगे बढ़ाया है।
मुगलों ने आकर जगदीशपुर का नाम बदलकर इस्लामनगर कर दिया था, हमने उसका नाम दोबारा जगदीशपुर करने का काम किया है।
मुगलों ने हिंदुस्तान को केवल भौतिक रूप से ही गुलाम नहीं बनाया था बल्कि मानसिक रूप से भी गुलाम बनाना चाहते थे।
मुगलों ने इतिहास को तोड़ना मरोड़ना चाहा।
भोपाल राजा भोज और रानी कमलापति का था ना कि मुगलों का।
मुगलों ने इतिहास को तोड़ा मरोड़ा इसलिए उस इतिहास को ठीक करना आगे आने वाली पीढ़ी को सही जानकारी देना यह हमारा दायित्व है और कर्तव्य है जिसे हम कर रहे हैं।
भोपाल का नाम भोजपाल करने पर मंत्री सारंग ने कहा कि सबसे पहले मैंने ही यह मांग उठाई थी।
लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इस मांग को रिजेक्ट कर दिया था।
आने वाले समय में इस पर हमारी सरकार विचार करेगी।