सतना से रेस्क्यू कर लाए यूरेशियन वल्चर को रायसेन वन मंडल के सरार बीट में छोड़ा गया

नसीमखान

रायसेन,
वन मंडल रायसेन अंतर्गत बीट सरार के कक्ष क्रमांक आरएफ 3 में शनिवार को एक यूरेशियन वल्चर (गिद्ध की प्रजाति) को छोड़ा गया। इस वल्चर को सतना वन मंडल से रेस्क्यू किया गया था, मुकुंदपुर रेस्क्यू सेंटर और वन विहार में उपचार उपरांत आज सुरक्षित इसे सरार बीट में छोड़ा गया। इस क्षेत्र में गिद्ध के लिए अनुकूल परिस्थिति, वातावरण और गिद्धों की अधिक संख्या को ध्यान में रखते हुए इस स्थान में वल्चर को रिलीज किया गया है। इस अवसर पर वन बल प्रमुख मध्य प्रदेश श्री असीम श्रीवास्तव, मुख्य वन प्राणी अभिरक्षक मध्यप्रदेश श्री शुभ रंजन सेन, डब्लूडब्लूएफ की टीम, एनजीओ बीएनएचएस की टीम के साथ ही मुख्य वन संरक्षक भोपाल, वन मंडल अधिकारी रायसेन और विदिशा, उपवनमण्डल अधिकारी रायसेन और दोनों रायसेन, विदिशा वनमण्डल का स्टाफ मौजूद रहा।
उल्लेखनीय है कि इसी स्थल पर वल्चर रेस्टोरेंट का निर्माण करने की भी तैयारी शासन स्तर पर चल रही है। आगामी दिनों में भोपाल स्थित वल्चर ब्रीडिंग सेंटर के 6 वल्चर को भी इस स्थल पर छोड़ा जाना प्रस्तावित है। इस अवसर पर वन बल प्रमुख ने मवेशियों को इलाज के लिए दी जाने वाली दवाईयां जिन्हें शासन ने प्रतिबंधित किया है और जो गिद्धों के लिए जानलेवा है, के बारे में जानकारी देते हुए इन प्रतिबंधित दवाईयों का उपयोग नहीं करने के लिए कहा। मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक ने गौशाला के कर्मचारियों को दवाइयों का एक सैंपल भ्ज्ञी प्रदाय किया जिससे गिद्धों को कोई नुकसान नहीं होता। इस अवसर पर वन बल प्रमुख ने बताया कि डाइक्लोफेनेक, निमेसुलाइड, कीटोप्रोफेन और एसेक्लोफेनेक दवाइयां जो पशुओं को इलाज के लिए दी जाती थी को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया गया है। इन दवाओं का उपयोग पूर्णतः गैरकानूनी है, गिद्धों की संख्या में जो भारी गिरावट विगत वर्षों में देखी गई थी! वह इन्हीं दवाओं के कारण थी जो पशुओं को उपचार के लिए दी जाती थी।

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