
नसीम खान संपादक
सांची,,, वैसे तो यह स्थल विश्व ऐतिहासिक पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात है इस स्थल को सुंदर बनाने संवारने बड़ी बड़ी बाते सुनने देखने को मिल जाती है परन्तु इस स्थल पर सैकड़ों बार सुविधा उपलब्ध कराने शासन प्रशासन को अवगत कराया गया बावजूद इसके इस विश्व विख्यात पर्यटक स्थल को मात्र कोरे आश्वासन ही हाथ लगी सके जिससे सुविधाओं की इस स्थल को लगातार दरकार बनी हुई है।

जानकारी के अनुसार यह स्थल न केवल विश्व विख्यात पर्यटक स्थल है बल्कि यह स्थल अपने आप में पुरातात्विक ऐतिहासिकता समेटे संरक्षित किए हुए हैं इस पुरातात्त्विक ऐतिहासिकता से न केवल देशवासी रूबरू होते हैं बल्कि हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक भी इस स्थल पर ऐतिहासिकता से रूबरू होने आते जाते रहते हैं इस स्थल को सजाने संवारने की बड़ी बड़ी बाते तथा इस स्थल पर लाखों करोड़ों खर्च कर इस स्थल के अनुरूप इसे ढालने की कवायद भी देखने सुनने को मिल जाती है परन्तु इन सब से जमीनी स्तर का कोई नाता दिखाई नहीं देता न तो इस स्थल के अनुसार यहां व्यवस्था ही जुटाई जा सकी न ही कोई प्रयास ही हो सके ।हो सके तो मात्र घोषणा तथा आश्वासन ही मिल कर रह गये तथा लोगों को इस स्थल पर मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रहना पडा इस स्थल की काया पलटने न तो प्रशासन न ही शासन को ही गंभीरता से विचार करने का समय ही मिल सका जिससे यह स्थल वर्षों बाद भी आवश्यक सुविधाओं से वंचित रह गया । यहां आने वाले पर्यटकों को न तो आने जाने की सुविधा उपलब्ध हो सकी न ही स्थानीय स्तर पर ही कोई व्यवस्था जुटाई जा सकी जिससे यहां पर्यटक चाहते हुए भी ठहरकर यहां की ऐतिहासिकता से मात्र कुछ घंटों में ही नगर छोड़ आगे बढ़ जाते हैं । इस स्थल पर न तो कोई विशेष यात्री बसों की सुविधा ही मिल सकी न ही ट्रेन ही इस स्थल को मिल सकी । इतना जरूर हुआ कि जो ट्रेनों के स्टापेज पूर्व से हुआ करते थे वह भी बन्द होकर रह गई ।

जिससे न केवल नगर वासियों बल्कि पर्यटक भी खासे परेशानी उठाते दिखाई देने लगे । रेलवे प्रशासन ने लगभग दो साल पहले कोरोना महामारी से बचाव के लिए स्टापेज स्थगित कर दिए थे परन्तु कोरोना तो चला गया ट्रेनों के स्टापेज भी अपने साथ ले गया हालांकि इस विश्व विख्यात पर्यटक स्थल पर ट्रेनों के स्टापेज की मांग कभी धीमी आवाज में उठी तो कभी तेज आवाज में उठाई गई बावजूद इसके न तो रेल प्रशासन न ही विभाग की ही नींद टूटती दिखाई दी जिससे इस स्थल को अपनी सेवाएं देने वाले अधिकारी कर्मचारी तो बेबस दिखाई दिए बल्कि इस स्थल पर अपना व्यापार चलाने वाले व्यापारियों को भी दूर दराज की यात्रा से हाथ धोना पड़ गया साथ ही ट्रेन स्टापेज न होने से यहां आने जाने वाले पर्यटकों को भी मुश्किलें उठानी पड़ गई तथा दूरदराज पहुंचने वाले पर्यटकों को इस नगर से विदा होने पर घंटों सड़कों पर बैठकर बसों का इंतजार करने पर मजबूर होना पड़ता है जिससे इस स्थल की अव्यवस्था से विदेशों में छवि बनने की जगह बिगड़ी दिखाई देती है जगह जगह गड्ढे दार सड़कों से भी लोग रूबरू होते रहते हैं नगर में धूल उड़ती दिखाई देती है जो आम हो गया है इस स्थल के अनुरूप इसे ढालने की मात्र घोषणा व आश्वासन पर ही लोगों को संतुष्ट रहना पड़ता है सैकड़ों बार मांग करने के बाद भी ट्रेनों सहित अन्य सुविधाओं की इस स्थल को दरकार बनी हुई है ।