
नसीमखान
सांची,,, इन दिनों इस नगर के लोगों को मूलभूत सुविधाओं बिजली पानी की गंभीर समस्या से जूझने पर मजबूर होना पड रहा है जिम्मदारो को समस्या हल करने नही हो पा रही चिंता ।
जानकारी के अनुसार इस प्रसिद्ध नगर में जहाँ विकास एवं विभिन्न मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने बडी बडी धींगे भरी जाती हैं जमीनी स्तर से यह मूलभूत सुविधाएं दूर दूर तक दिखाई नहीं देती जिसका खामियाजा नगर वासियों को भुगतने पर मजबूर होना पड रहा है हालांकि विभिन्न करो एवं बिलो को लेकर वसूली तो जारी रहती है परन्तु सुविधाएं भगवान भरोसे छोड़ दी जाती हैं जो लोगों की परेशानी का सबब बन जाती हैं ।
नगर में बढता जा रहा गंभीर पेयजल संकट ।
वैसे तो स्थानीय प्रशासन लगातार पेयजल आपूर्ति की धींगे भरता है परंतु अभी गर्मी ने अपना रोद्र रूप दिखाया भी नहीं था कि पेयजल संकट लोगों को चिंता में डाल रहा है पेयजल आपूर्ति के नाम पर स्थानीय प्रशासन द्वारा जलकर मे विगत वर्षों में मासिक वृद्धि कर दी थी तथा लोगों को प्रतिदिन जलप्रदाय किया जाता था अब जलप्रदाय पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं तथा जल संकट से लोग जूझते दिखाई देने लगे हैं जलस्तर घटने से प्रशासन के कुछ ट्यूवैलो ने पानी उगलना बंद कर दिया है तो कुछ हिचकोलों की जद मे आ चुके हैं जिससे जलसंकट बढ गया है तथा प्रशासन द्वारा जहाँ प्रतिदिन जलापूर्ति की जाती थी अब दो दिन में एक बार जलापूर्ति सुनिश्चित कर दी गई है जिससे जलसंकट बढने लगा है जो नागरिकों को परेशानी का सबब बन गया है जबकि जलकर मे किसी प्रकार की राहत नही मिल सकी ।अब नगर वासियों को पंद्रह दिन जलापूर्ति की जा रही हैं जबकि जलकर पूरे माह का वसूला जाता है तथा जलापूर्ति हेतु कोई अन्य उपाय नही हो सके ।इस जलापूर्ति मे नगर वासियों को बिजली भी अडंगेबाजी लगा रही हैं जलप्रदाय कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी बिजली की आंखमिचौली पर छोड अपना पल्लू झाडते दिखाई दे जाते है ।
इस ऐतिहासिक स्थल की बिजली चरमराई ।मंडल अधिकारी बेफिक्र।
इस स्थल पर बिजली व्यवस्था सुचारू बनाने पहले डली बिजली केवल पर दोष मढा जाता था तब बिजली व्यवस्था सुचारू बनाने नगर भर मे न ई केवल डाली गई थी परन्तु हर दिन केवल जलने फाल्ट होने की समस्या लगातार जारी है जिससे नगर अंधेरे की जकड मे जकडा रहता है तब कहीं न कहीं नवीन केवल की गुणवत्ता भी संदेह के घेरे में आ चुकी हैं न ई केवल डलने के बाद से ही बिजली का ढर्रे मे कोई सुधार नहीं हो सका ।दिनभर मे बिजली कितनी बार जाये कितनी बार आये कहा नहीं जा सकता है इससे न केवल नगर अंधेरे में जकड जाता है बल्कि लोगों को गेहूं पिसाने बैंक व्यवस्था के चरमराने एवं दफ्तरों के कार्य ठप्प होने की समस्या से जूझने मजबूर होना पडता है इतना ही नहीं इस बिजली का असर दो दिन में प्रदाय होने वाली नगर की जलापूर्ति पर भी पडता है इस स्थल की बिजली घंटों गायब रहती हैं जबजब बिजली अधिकारी कर्मचारियों से समस्या की जानकारी ली जाती हैं तब एक ही रटा रटाया जवाब केवल जलने का मिलता है जबकि बिजली उपभोक्ताओं से वसूली मे कोई रियायत तो नहीं मिलती बल्कि बिजली प्रदाय मे समस्या बढ जाती है इससे न केवल उपभोक्ताओं को परेशानी से जूझना पड़ता है बल्कि नगर भर की पेयजल आपूर्ति पूरी तरह लडखडा जाती है परंतु न तो इस स्थल पर बिजली व्यवस्था सुचारु बनाने के प्रयास किए जा सके न ही पेयजलापूर्ति हेतु कोई कदम उठाए जा सके ।