
जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़।
दिलेसर चौहान ,संवाददाता छग,
दूसरी दुनिया के लोग, इस दुनिया में उनकी कोई जरूरत नहीं।
, दूसरी दुनिया में जीने वाले मानसिक विक्षिप्त लोग,
इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं। यह भी कभी अच्छे इंसान थे
,घर था ,परिवार था,
अपने थे ।
जो सब खत्म हो गया ,अपने पराए हो गए।
वजह केवल एक ही है, उनका दिमाग उस घटना या खास वक्त पर ठहर गया है ।
उनका सोच केवल वहीं तक सीमित होकर केंद्रित रहता है।
ना खाने, की चिंता न सोने की, कहां से आ रहा है कहां जाना है।कुछ पता नहीं होता ,वाकई में वह दूसरी दुनिया में जीता है।
चौक चौराहे पर बस स्टैंड, फुटपाथ ,पर विक्षिप्त पागल मनुष्य देखने को जरूर मिल जाएगा
फटे पुराने गंदे कपड़े पहने,
या नंगे बदन घूमते हुए अक्सर दिखाई देते हैं।
जिन की सुध लेने वाला कोई नहीं इन्हें देख कर दिल को बहुत ठेस पहुंचता है, और मन दुख से भर जाता है।
इन लोग दुनिया से बेखबर होते हैं।
गर्मी हो या ठंड या फिर बरसात, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ।
ना खाने कि न सोने की कोई सुध नहीं ।
कहां से आए हैं, कहां जा रहे हैं ।कौन अपना है कौन पराया सब भूल जाते हैं ।
कल तक वह किसी के चेहते थे आज उनसे अपने घृणा करते हैं।
इनकी दशा को सुधारने का सरकार के पास कोई कार्य योजना नहीं।
इंसानों की दुनिया में इन्हें पूछने वाला भगवान भी नहीं ।
ऐसा ही वाकया मनो उपचार केंद्र बिलासपुर में सिंदरी देखने को मिला,
कम उम्र के मानसिक पीड़ित लड़के ,लड़कियां मानसिक डिप्रेशन में है ।
जहां इलाज के नाम पर केवल फॉर्मेलिटी निभाई जा रही है। घरवाले अपने बच्चे के मानसिक टेंशन से तंग आकर हॉस्पिटल में भर्ती कर दिए हैं ।
जहां उनकी हालत कैदी जैसे बन गई है ।
चिखते हैं चिल्लाते हैं ऐसी हालत में उन्हें जंजीरों से बांध दिया जाता है।
मनो उपचार केंद्र बिलासपुर सेंदरी के अधीक्षक बि,आर, नंदा से जानकारी लेने की कोशिश की गई, वह भी अपने केबिन से नदारद थे।
हॉस्पिटल के कुछ स्टाफ के लोगों से पूछने पर पता चला की हॉस्पिटल में दवाई की सप्लाई कम है, मानसिक डिप्रेशन के लोगों को नींद की इंजेक्शन, क्लीव,जेम जैसे टेबलेट की भी कमी है।
वैसे देखा जाए तो इंसान की इंसानियत ही खत्म हो गईहै। लोगों के लिए
एक ही रास्ता बच जाता है वह है भगवान और जब उनसे भी
आस खत्म हो जाता है तो मजबूरन रोने गिड़गिड़ाना इसके सिवा उनके पास कुछ नहीं रहा जाता ।
उनकी मदद करने वाला शायद डॉक्टर तो क्या भगवान भी नहीं। छत्तीसगढ़ सरकार को खास नियोजन इनके लिए कोई अच्छा बेहतरीन इलाज की व्यवस्था करनी चाहिए।
क्योंकि इन्हें किसी प्रकार की लालच नहीं, घमंड नहीं, जलन नहीं ,इनकी मजबूरी है यह सोचने समझने की शक्ति खो चुके हैं। दूसरी दुनिया में जीते हैं। दुनिया से बेखबर।