
नसीमखान
रायसेन,
16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगड़िया और सदस्य श्रीमती एनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. सौम्य कांति घोष एवं डॉ. मनोज पांडा ने यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल सांची स्तूप और ऐतिहासिक उदयगिरि गुफाओं का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने प्रदेश के गौरवशाली इतिहास से परिचय प्राप्त किया और भारतीय संस्कृति की समृद्ध धरोहर को नजदीक से देखा। सांची स्तूप भ्रमण के दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारीगण, कलेक्टर श्री अरूण विश्वकर्मा, जिला पंचायत सीईओ श्रीमती अंजू पवन भदौरिया तथा भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी साथ रहे।
सांची स्तूप की भव्यता से हुए अभिभूतवित्त आयोग के प्रतिनिधियों ने सांची स्तूप की भव्यता और कलात्मक उत्कृष्टता को देखकर गहरी प्रशंसा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सांची के स्तूप प्रदेश में स्थापत्यकला का अद्भुत नमूना है। यह ऐतिहासिक स्थल तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में महान सम्राट अशोक द्वारा निर्मित कराया गया था और बौद्ध धर्म के महत्त्वपूर्ण केंद्रों में से एक है। सांची के स्तूप अपनी उत्कृष्ट स्थापत्य शैली और अद्भुत शिल्पकारी के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ मौजूद तोरण द्वार और जटिल नक्काशीदार स्तंभ बौद्ध जातक कथाओं और घटनाओं को दर्शाते हैं। प्रतिनिधिमंडल ने लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से सांची स्तूप के इतिहास को एक रोचक कहानी के माध्यम से जाना। बौद्ध धर्म के विकास, सम्राट अशोक की धम्म नीति और सांची के ऐतिहासिक महत्व की गहरी जानकारी प्राप्त हुई।
उदयगिरि गुफाओं में ऐतिहासिक धरोहर की झलकसांची भ्रमण के पूर्व प्रतिनिधियों ने उदयगिरि गुफाओं का भी भ्रमण किया। गुप्तकालीन इन गुफाओं में भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की अद्भुत मूर्तियां उकेरी गई हैं, जो प्राचीन भारतीय कला और धर्म का अनुपम उदाहरण हैं। उदयगिरि की 20 गुफाओं में विशेष रूप से वाराह अवतार की विशाल प्रतिमा, जिसमें भगवान विष्णु पृथ्वी को समुद्र से निकालते हुए दिखाए गए हैं, ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। वित्त आयोग के सदस्यों ने कहा कि सांची और उदयगिरि जैसे ऐतिहासिक स्थल भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के अमूल्य प्रतीक हैं। इन स्थलों का संरक्षण और प्रचार-प्रसार भावी पीढ़ियों के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान प्रतिनिधियों ने न केवल प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहर को समझा, बल्कि भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा को भी आत्मसात किया।